Tuesday, September 17, 2013

Bachpan ke Din.

सुनी हुई कहानियाँ,
दोस्तों के साथ की गयी शैतानियाँ,
एक चॉकलेट के पाँच टुकड़े कर
बाँटी गयी खुशियाँ की खिल्कारियाँ ।

कभी नटखट, तो कभी भोले

जो मन में हो वही हैं झट से कहते ।
गुस्सा रह कर किसी का दिल दुखाना हम नहीं जानते,
पर नाराज़गी का दिखावा कर के किसी का प्यार बटोरने से हम नहीं शर्माते ।

बारिश की मीठी  बूँदें जब जीभ पर गिरती हैं

पानी के पोखर पर जब हमारे कागज़ की नौका सवार होती है
हम सितारे गिनने में जब फिर जुट जाते हैं
न जाने बड़े क्यूँ कहते हैं, 'ये तो अभी बच्चे  है। '

हाँ, हम भी बड़े होना चाहते हैं,

बिट्टू, बबली और चिंटू से भी लम्बा होना चाहते हैं
लेकिन ये बचपना और शरारतें साथ ले चलना चाहते हैं ।






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